"You" - hindi
तुम्हारी आंखों में देखती हु , तो दरिया दिखता है
इस पिंजरे से निकलने का एक जरिया दिखता है
चल रहा था ज़िंदगी का कारवां यूंही
मगर अब हर रास्ते पर लिखा तुम्हारा नाम दिखता है
आसान नहीं इन राहों पे चलना
मगर हर कदम एक जाम सा लगता है
कड़वा चाहे जितना भी हो ये सफर
तुम्हारी पी हुई चाय सा मीठा लगता है
बगीचे के हर फूल में तुम्हारा चेहरा दिखता है
इस गुलाबी ठंडी में, लाल गुलाबों की तरह खिलता है
हां माना है कांटे हमारे रास्ते में भी,
मगर मंजिल पर तुम्हे देखकर हर कांटा गुलाब लगता है
- Shravani D.
Wonderful reflection of unique perspective and experiences.
ReplyDeleteReally impressed by the depth and complexity of your poem.
A true work of art. The way you explore themes such as love and longing with such vivid imagery is truly impressive.